जपना
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प्रकाशितकोशों से अर्थ
[सम्पादन]शब्दसागर
[सम्पादन]जपना ^१ क्रि॰ स॰ [सं॰ जपन]
१. किसी वाक्य या वाक्यांश को बराबर लगातार धीरे धीरे देर तक कहना या दोहराना उ॰—राम राम के जपे ते जाय जिय की जरनि ।—तुलसी (शब्द॰) ।
२. किसी मंत्र का संध्या, यज्ञ या पूजा आदि के समय संख्यानुसार धीरे धीरे बार बार उच्चारण करना ।
३. खा जाना । जल्दी निगल जाना (बाजारू) ।
जपना पु ^२ क्रि॰ स॰ [सं॰ यजन] यजन करना । जज्ञ करना । उ॰—चहत महामुनि जाग जपो । नीच निसाचर देत दुसह दुख कृस तनु ताप तपो ।—तुलसी (शब्द॰) ।