जमींदार

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हिन्दी[सम्पादन]

प्रकाशितकोशों से अर्थ[सम्पादन]

शब्दसागर[सम्पादन]

जमींदार संज्ञा पुं॰ [फ़ा॰ जमीनदार] जमीन का मालिक । भूमि का स्वामी । विशेष—मुसलमानों के राजत्वकाल में जो मनुष्य किसी छोटे प्रांत, जिले या कुछ गावों का भूमिकर लगाने और सरकारी खजाने में जमा करने के लिये नियुक्त होता था, वह जमींदार कहलाता था और उसे उगाए हुए कर का दसवाँ भाग पुरस्कार स्वरूप दिया जाता था । पर, जब अंत में मुसलमान शासक कमजोर हो गए तब वे जमींदार अपने अपने प्रांतों के स्वतंत्र रूप से प्रायः मलिक बन गए । अंगरेजी राज्य में जमीदार लोग अपनी अपनी भूमि के पूरे पूरे मालिक समझे जाते थे और जमींदारी पैतृक होती थी । ये सरकार को कुछ निश्चित वार्षिक कर देते थे और अपनी जमीदारी का संपत्ति की भाँति जिस प्रकार चाहें, उपयोग कर सकते थे । काश्तकारों आदि को कुछ विशिष्ट नियमों के अनुसार वे अपनी जमीन स्वयं ही जोतने बोने आदि के लिये देते थे और उनसे लगान आदि लेते थे । भारत के स्वतंत्र हो जाने पर लोकतांत्रिक सरकार ने जमींदारी प्रथा का वैधानिक उंन्मूलन कर दिया है ।