जलंधर
प्रकाशितकोशों से अर्थ
[सम्पादन]शब्दसागर
[सम्पादन]जलंधर संज्ञा पुं॰ [सं॰ जलन्धर]
१. एक पौराणिक राक्षस का नाम जो शिव जी की कोपाग्नि से गंगा—समुद्र—संगम में उत्पन्न हुआ था । विशेष—पद्म पुराण में लिखा है कि यह जनमते ही इतने जोर से रोने लगा कि सब देवता व्याकुल हो गए । उनकी ओर से जब ब्रह्मा ने जाकर समुद्र से पूछा कि यह किसका लड़का है तब उसने उत्तर दिया कि यह मेरा पुत्र है, आप इसे ले जाइए । जब ब्रह्मा ने उसे अपनी गोद में लिया तब उसने उनकी दाढ़ी इतने जोर से खींची कि उनकी आँखों से आँसू निकल पड़ा । इसी लिये ब्रह्मा ने इसका नाम 'जलंधर' रखा । बड़े होने पर इसने इंद्र की नगरी अमरावती पर अधिकार कर लिया । अंत में शिव जी इंद्र की ओर से उससे लड़ने गए । उसकी स्त्री वृंदा ने, जो कालनेमि की कन्या थी, अपने पति के प्राण बचाने के लिये ब्रह्मा की पूजा आरंभ की । जब देवताओं ने देखा कि जलंधर किसी प्रकार नहीं मर सकता तब अंत में जलंधर का रुप धारण करके विष्णु उसकी स्त्री वृंदा के पास गए । वृंदा ने उन्हें देखते ही पूजन छोड़ दिया । पूजन छोड़ते ही जलंधर के प्राण निकल गए । वृंदा क्रुद्ध होकर शाप देना चाहती थी पर ब्रह्मा के बहुत कुछ समझाने बुझाने पर वह सती हो गई ।
२. एक प्राचीन ऋषि का नाम ।
३. योग का एक बंध ।
जलंधर ^२ संज्ञा पुं॰ [हिं॰ जलोदर] दे॰ 'जलोदर' ।