जवारी

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हिन्दी[सम्पादन]

प्रकाशितकोशों से अर्थ[सम्पादन]

शब्दसागर[सम्पादन]

जवारी ^१ संज्ञा स्त्री॰ [हिं॰ जव] एक प्रकार का हार जिसमें जौ, छुहारे, मोती आदि मिलाकर गुँथे हुए होते हैं और जिसे कुछ जातियों में विवाह के उपरांत ससुर अपनी बहू को पहनाता है ।

जवारी ^२ संज्ञा स्त्री॰

१. सितार, तंबूरे, सारंगी आदि तारवाले बाजों में लकड़ी या हड्डी आदि का छोटा टुकड़ा जो उन बाजों में नीचे की ओर बिना जुड़ा हुआ रहता है और जिसपर होकर सब तार खूँटियों की ओर जाते हैं । यह टुकड़ा सब तारों को बाजे के तल से कुछ ऊपर उठाए रहता है । घोड़ी ।

२. तारवाले बाजों में षड़ज का तार । क्रि॰ प्र॰—खोलना ।—चढ़ाना ।—बाँधना ।—लगाना ।