जहदजहल्लक्षण

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हिन्दी[सम्पादन]

प्रकाशितकोशों से अर्थ[सम्पादन]

शब्दसागर[सम्पादन]

जहदजहल्लक्षण संज्ञा स्त्री॰ [सं॰] एक प्रकार की लक्षणा जिसमें एक या एक से अधिक देश का त्याग और केवल एक देश का ग्रहणा फिया जाय । वह लक्षण जिसमें वोलनेवाले को शब्द के वाच्यार्थ से निकलनेवाले कई एक भावों में से कुछ का परित्याग कर केवल किसी एक का ग्रहणा अभिप्रेत होता है । जैसे, यह वही देवदत्त हैं, इस वाक्य से बोलनेवाले का अभिप्राय केवल देवदत्त से हैं, न कि पहले के देवदत से या अब के देवदत से । इसी प्रकार छांदोग्य उपनिषद् में आए हुए 'तत्त्वमिस श्वेतकेती' अर्थात् 'हे श्वेतकेतु ! वह तू ही है', आया है । इस वाक्य से कहनेवाले का अभिप्राय ब्रह्म के सर्वज्ञत्व और श्वेतकेतु के अल्पज्ञत्व या ब्रह्म की सर्वव्यापिता और श्वेतकेतु की एकदेशिता के एक ठहराने का नहीं है किंतु दोनों की चेतनता ही की और लक्ष्य है ।