जात
प्रकाशितकोशों से अर्थ
[सम्पादन]शब्दसागर
[सम्पादन]जात ^१ संज्ञा पुं॰ [सं॰]
१. जन्म ।
२. पुत्र । बेटा ।
३. चार प्रकार के पारिभाषिक पुत्रों में से एक । वह पुत्र जिसमें उसकी माता के से गुण हों ।
४. जीव । प्राणी ।
५. वर्ग । श्रेणी । जाति (को॰) ।
६. समूह । यूथ (को॰) ।
जात ^२ वि॰
१. उत्पन्न । जन्मा हुआ । जैसे, जलजात । उ॰—देखत उदधिजात देखि देखि निज गात चंपक के पात कछू लिख्यौ है बनाइ के ।—केशव (शब्द॰) ।
२. व्यक्त । प्रकट ।
३. प्रशस्त । अच्छा ।
४. जिसने जन्म ग्रहण किया हो । जैसे, नवजात ।
जात ^३ संज्ञा स्त्री॰ [सं॰ ज्ञाति] दे॰ 'जाति' । यौ॰—जात पाँत ।
जात ^४ संज्ञा स्त्री॰ [अ॰ जात]
१. शरीर । देह । काया । जैसे,— उसकी जात से तुम्हें बहुत फायदा होगा ।
२. कुल । वंश । नस्ल (को॰) ।
३. व्यक्तित्व (को॰) ।
४. जाति । कौम । बिरादरी ।
५. अस्तित्व । हस्ती (को॰) ।
जात ^५ संज्ञा स्त्री॰ [सं॰ यात्रा] तीर्थयात्रा । किसी देवस्थान, तीर्थ आदि के निमित्त की जानेवाली यात्रा । उ॰—इहि बिधि बीते मास छ सात । चले समेत सिखर की जात ।—अर्ध॰, पृ॰ ६ ।
जात ^१ संज्ञा स्त्री॰ [सं॰ ज्ञान]
१. ज्ञान । जानकारी । जैसे,— हमारी जान में तो कोई ऐसा आदमी नहीं है ।
२. समझ । अनुमान । खयाल । उ॰—मेरे जान इन्हहिं बोलिबे कारन चतुर जनक ठयो ठाट हतोरी ।—तुलसी (शब्द॰) । यौ॰—जान पहचान = परिचय । एक दूसरै से जानकारी । जैसे,—(क) हमारी उनकी जान पहचान नहीं है । (ख) उनसे तुमसे जान पहचान होगी । मुहा॰—जान में = जानकारी में । जहाँ तक कोई जानता है वहाँ तक । विशेष—इस शब्द का प्रयोग समास में या 'में' विभक्ति के साथ ही होता है । इसके लिंग के विषय में भी मतभेद है । पुंलिग और स्त्रीलिंग दोनों में प्रयोग प्राप्त होते है ।