जाम
प्रकाशितकोशों से अर्थ
[सम्पादन]शब्दसागर
[सम्पादन]जाम ^१ संज्ञा पुं॰ [सं॰ याम] पहर । प्रहर । ७ १/२ घडी या तीन घंटे का समय । उ॰—(क) गए जाम जुग भूपति आवा । घर घर ढत्सव बाज बधावा ।—तुलसी (शब्द॰) । (ख) दुतिय जाम संगीत उछव रस किक्ति काव्य जमि ।—पृ॰ रा॰, ६ । ११ । (ग) उ॰—जाम सिसा रहि भोर की, अल्हन सुप्न सु होय ।—प॰ रासो, पृ॰ १७० ।
जाम ^२ संज्ञा पुं॰ [फा॰]
१. प्याला ।
२. प्याले के आकार का बना हुआ कटोरा ।
जाम ^३ संज्ञा पुं॰ [अनु॰ झम (= जल्दी)] जहाज के दौड (लश॰) ।
जाम ^४ संज्ञा पुं॰ [अं॰ जैम]
१. जहाज का दो चट्टानों या और किसी वस्तु के बीच अटकाव । फँसाव (लश॰) । क्रि॰ प्र॰—आना ।—करना ।—होना ।
२. मुरब्बा । चाशनी में पागे हुए फल ।
जाम ^५ वि॰ रूका हुआ । अवरूद्ध । जैसे, दो गाडियों के लड जाने से रास्ता जाम हो गया ।
जाम ^६ संज्ञा पुं॰ [सं॰ जम्बू] जामुन ।
जाम बेतुआ संज्ञा पुं॰ [हिं॰ जाम+ बेंत] एक प्रकार का बाँस । विशेष—यह बाँस प्रायः बरमा, आसाम और पूर्वी बंगाल में होता है । यह बाँस टट्टर बनाने, छत पाटने आदि के लिये बहुत अच्छा होता है ।