जामित्र

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हिन्दी[सम्पादन]

प्रकाशितकोशों से अर्थ[सम्पादन]

शब्दसागर[सम्पादन]

जामित्र संज्ञा पुं॰ [सं॰] विवाहादि शुभ कर्म के काल के लग्न से सातवाँ स्थान ।

जामित्र वेध संज्ञा पुं॰ [सं॰] ज्योतिष का एक योग जिसमें विवाह आदि शुभ कर्म दूषित होते हैं । विशेष—शुभ कर्म का जो काल हो, उसके नक्षत्र की राशि से सातवीं राशि पर यदि सूर्य, शनि या मंगल हो, तब जामित्र- बेध होता है । किसी किसी के मत से सप्तम स्थान में पापग्रह होने से ही जामित्रबेध होता है । किंतु यदि चंद्रमा अपने मूल त्रिकोण या क्षेत्र में हो, अथवा पूर्ण चंद्र हो या पूर्ण चंद्र अपने या शुभ ग्रह के क्षेत्र में हो तो जामित्रवेध का दोष नहीं रह जाता ।