जाय
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प्रकाशितकोशों से अर्थ
[सम्पादन]शब्दसागर
[सम्पादन]जाय पु ^१ अव्य॰ [अ॰ जायअ ( = वृथा)] वृथा । निष्फल । व्यर्थ । बेकार । उ॰—(क) जाय जीव बिनु देह सुहाई । बादि मोर सब बिनु रघुराई ।—तुलसी (शब्द॰) । (ख) तात जाय जिन करहु गलानी । ईस अधीन जीव गति जानी ।—तुलसी (शब्द॰) । (ग) जेहि देह सनेह न रावरे सो ऐसी देह धराइ जो जाय जिए ।—तुलसी (शब्द॰) ।
जाय † ^२ संज्ञा स्त्री॰ [देश॰] चने और उड़द की भूनकर पकाई हुई दाल ।
जाय ^३ संज्ञा स्त्री॰ [फा़॰ 'जा' का यौगिक रूप] जगह । स्थान । मौका । यौ॰—जायनमाज । जायपनाह, जायरहाइश = निवास स्थान ।
जाय ^४पु वि॰ [सं॰ जात] जन्मा हुआ । पैदा । उत्पन्न । जैसे— चल जा दासीजाय तेरा उत्साह दिलाना निष्फल हुआ ।