जिगर
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प्रकाशितकोशों से अर्थ
[सम्पादन]शब्दसागर
[सम्पादन]जिगर संज्ञा पुं॰ [फा़॰ मि॰ सं॰ यकृत्] [वि॰ जिगरी]
१. कलेजा । यौ॰—जिगर कुल्फ = जिगर का ताला । हृदयरूपी ताला । उ॰—मुसकानि ओ लटकीली बानि आनि दिल में डोलैं । अलकें रल्कें हलकें जिगर कुल्फ के जु खोलै ।—ब्रज॰ ग्रं॰, पृ॰ ४१ । जिगर खराश = (१) जिगर को छीलनेवाला । (२) अप्रिय । दु:खदायी । जिगर गोशा । जिगरबंद = पुत्र (ला॰) । जिगर- सोज = (१) दिल जलानेवाला । (२) दिल का जला । मुहा॰—जिगर कबाब होना = (१) कलेजा पक जाना या जलना । (२) बुरी तरह कुढ़ना । जिगर के टुकडे होना = कलेजे पर सदमा पहुँचना । भारी दुःख होना । जिगर थामकर बैठना = असह्य दुःख से पीड़ित होना ।
२. चित्त । मन । जीव ।
३. साहस । हिम्मत ।
४. गूदा । सत्त । सार ।
५. मध्य । सारा भाग । जैसे, लकडी़ का जिगर ।
६. पुत्र । लड़का (प्यार से) ।