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जीना

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प्रकाशितकोशों से अर्थ

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शब्दसागर

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जीना क्रि॰ स॰ [सं॰ जीवन]

१. जीवित रहना । सजीव रहना । जिंदा रहना । न मरना । जैसे,—यह घोड़ा अभी मरा नहीं है जीता है । (ख) वह अभी बहुत दिन जीएगा । उ॰—अरविंद सो आनन रूप मरंद अनंदित लोचन भृंग पिए । मन मों न बस्यो ऐसो बालक जो तुलसी जग में फल कौन जिए ?— तुलसी (शब्द॰) । संयो॰ क्रि॰—उठना ।—जाना ।

२. जीवन के दिन बिताना । जिंदगी काटना । जैसे,—ऐसे जीने से तो मरना अच्छा । मुहा॰—जीना भारी हो जाना = जीवन कष्टमय हो जाना । जीव न का सुख और आनंद जाता रहना । जीता जागता = जीवित और सचेत । भला चंगा । जीता लहू = देह से ताजा निकला हुआ खून । जीती मक्खी निगलना = (१) जान बूझकर कोई अन्याय या अनुचित कर्म करना । सरासर बेईमानी करना । जैसे,—उससे रुपया पाकर मैं कैसे इनकार करूँ ? इस तरह जीती मक्खी तो नहीं निगली जाती । (२) जान बूझकर बुराई में फँसना । जान बूझकर आपत्ति या संकट में पड़ना । जीते जी = (१) जीवित अवस्था में । जिंदगी रहते हुए । उपस्थिति में । बने रहते । आछत । जैसे,—(क) मेरे जीते जी तो कभी ऐसा न होने पाएगा । (ख) उसके जीते जी केई एक पैसा नहीं पा सकता । (२) जबतक जीवन है । जिंदगी भर । जैसे,—मैं जीते जी आपका उपकार नहीं भूल सकता । जीते जी मर जाना = जीवन में ही मृत्यु से बढ़कर कष्ट भोगना । किसी भारी विपत्ती या मानसिक आघात से जीवन भारी होना । जीवन का सारा सुख और आनंद जाता रहना । जीवन नष्ट होना । जैसे,—(क) पोते के मरने से तो हम जीते जी मर गए । (ख) इस चोरी से जीते जी मर गए । जीते जी मर मिटना = (१) बुरी दशा को पहुँचना । (२) अत्यंत आसक्त होना । उ॰—मैं तो जीते जी मर मिटा यारो कोई तदबीर ऐसी बताओ कि विसाल नसीब हो जाय ।—फिसाना॰, भा॰ १, पृ॰ ११ । जीते रहो = एक आशीर्वाद जो बड़ों की ओर से छोटों को दिया जाता है । जब तक जीना तब तक सीना = जिंदगी भर किसी काम में लगे रहबा । उ॰—पेट के बेट वेगारहि में जब लौं जियना तब लौं सियना है ।—पद्माकर (शब्द॰) ।

३. प्रसन्न होना । प्रफुल्लित होना । जीते,—उसके नाम से तो वह जी उठता हो । संयो॰ क्रि॰—उठना । मुहा॰—अपनी खुशी जीना = अपने ही सुख से आनंदित होना ।