जील

विक्षनरी से


हिन्दी[सम्पादन]

प्रकाशितकोशों से अर्थ[सम्पादन]

शब्दसागर[सम्पादन]

जील संज्ञा स्त्री॰ [फ़ा॰ जीर]

१. धीमा शब्द । मध्यम स्वर । नीचा सुर ।

२. तबले या ढोल का बायाँ । उ॰—जात कहूँ ते कहूँ को चल्यो सुर टीप न लागत तान धरे की । आखर सो समुझे न परे मिलि ग्राम रहे जति जील परे की ।— रघुनाथ (शब्द॰) ।