जुवा
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प्रकाशितकोशों से अर्थ
[सम्पादन]शब्दसागर
[सम्पादन]जुवा † ^१ संज्ञा पुं॰ [सं॰ द्यूत, हिं॰ जुआ] दे॰ 'जुआ' । उ॰— जुवा खेल खेलन गई जोषित जोबन जोर । क्यों न गई तैं मति भई सुन सुरही के सोर ।—स॰ सप्तक, पृ॰ ३६४ ।
जुवा पु ^२ संज्ञा स्त्री॰ [सं॰ युवा] दे॰ 'युवती' । उ॰—साजि साज कुंजन गई लख्यौ न नंदकुमार । रही ठौर ठाढ़ी ठगी जुवा जुवा सी हार ।—स॰ सप्तक, पृ॰ ३८८ ।
जुवा पु ^३ वि॰ [हिं॰ जुदा] दे॰ 'जुदा' । उ॰— मन मिलिमोड़ा तिकाँ माढ़वाँ, जीभ करै खिण माँह जुवा ।—बाँकी॰ ग्रं॰, भा॰ ३, पृ॰ १०३ ।
जुवा ^४ वि॰ [हिं॰] दे॰ 'युवा' । उ॰—गावति गीत सबै मिलि सुंदरि, बेद जुरि विप्र पढ़ाहीं ।—तुलसी ग्रं॰, पृ॰ १५९ ।