जू
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प्रकाशितकोशों से अर्थ
[सम्पादन]शब्दसागर
[सम्पादन]जू ^१ अव्य॰ [सं॰ (श्री) युक्त]
१. एक आदरसूचक शब्द जो ब्रज, बुंदेलखंड, राजपूताना आदि में बडे़ लोगों के नाम के साथ लगाया जाता है । जी । जैसे, कन्हैया जू ।
२. संबोधन का शब्द । दे॰' जी ' ।
जू ^२ अव्य॰ [देश॰] एक निरर्थक शब्द जो बैलों या भैसों को खड़ा करने के लिये बोला जाता है ।
जू ^३ संज्ञा स्त्री॰ [सं॰]
१. सरस्वती ।
२. वायुमंडल । वायु ।
३. बैल या घोडे़ के मस्तक पर का टीका ।
जू ^४ वि॰ [वै॰ स॰] तेज । वेगवान् [को॰] ।