जूड़ा
प्रकाशितकोशों से अर्थ
[सम्पादन]शब्दसागर
[सम्पादन]जूड़ा ^१ संज्ञा पुं॰ [सं॰ जूट अथवा सं॰ चूडा]
१. सिर के बालों की वह गाँठ जिसे स्त्रियाँ अपने बालों को एक साथ लपेटकर अपने सिर के ऊपर बाँधती है । उ॰— काको मन बाँधत न यह जूड़ा बाँधनहार । —श्यामा॰, पृ॰ २९ । विशेष— जटाधारी साधु लोग भी जिन्हें अपनी बालों की सजावट का विशेष ध्यान नहीं रहता अपने सीर पर इस प्रकार बालों को लपेटकर गाँठ बनाते हैं । क्रि॰ प्र॰— बाँधना ।—सोलना ।
२. चोटी । कलँगी । जैसे, कबूतर या बलबुल का जूड़ा ।
३. पगड़ी का पिछला भाग ।
४. मूँज आदि का पूला । गुँजारी ।
५. पानी के घडे़ के नीचे रखने की घास आदि की लपेटकर बनाई हुई गडरी ।
जूड़ा ^२ संज्ञा पुं॰ [हिं॰ जूड़] [स्त्री॰ जूड़ी] बच्चों का एक रोग जिसमें सरदी के कारण साँस जल्दी जल्दी चलने लगती है और साँस लेते समय कोख में गड्ढा पड़ जाता है । कभी कभी पेट में पीड़ा भी होती है और बच्चा सुस्त पड़ा रहता है ।
सिर के बालों को लपेटकर बनाया गया गुच्छा ।