जूती

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हिन्दी[सम्पादन]

प्रकाशितकोशों से अर्थ[सम्पादन]

शब्दसागर[सम्पादन]

जूती संज्ञा स्त्री॰ [हिं॰ जूता ]

१. स्त्रियों का जूता ।

२. जूता । यौ॰— जूतीकारी । जूतीखोर । जूतीपैजार । उ॰— जूती पैजार और लाठी डंड़ो तक की नौबत आती है ।—प्रेमघन॰, भा॰ २, पृ॰ ३४५ । मुहा॰— जूतियाँ उठाना = नीच सेवा करना । दासत्व करना । जूती की नोक पर मारना = कुछ न समझना । तुच्छ समझना । कुछ परवाह न करना । जैसे,— ऐसा रुपया मैं जूती की नोक पर मारता हूँ । जूती की नोक खफा हौना = परवा न करना । फिक्र न करना । उ॰— खफा़ काहे को होती हो बेगम ? हमारी जूती की नोक खफा हो ।—सैर कु॰, भा॰ १, पृ २१ । जूती की नोक से = बला से । कुछ परवाह नहीं । (स्त्री॰) । उ॰— वह यहाँ नहीं आती है तो मेरी जूती की़ नोक से । जूती के बराबर = अत्यंत तुच्छ । बहुत नाघोज । (किसी की) जूती के बराबर न होना = किसी की अपेक्षा अत्यंत तुच्छ होना । किसी के सामने बहुत नाचीज होना । (खुशामद या नम्रता से कभी कभी लोग इस वाक्य का प्रयोग करते हैं । जैसे,— मैं तो आपके जूती के बराबर भी नहीं हूँ) । जूती चाटना = खुशामद करना । चापलूशी करना । जूती दाल बँटना = दे॰ 'जूतियों दाल बँटना' । उ॰— छेड़खानी करती हैं, आओ पड़ोसन हम तुम लड़ें । दूसरी बोली लड़ें मेरी जूती । उसने कहा जूती लगे तेरे सर पर । वह बोली, तेरे होते सोर्तों पर । चलो बस जूती दाल बटने लगी ।—सैर कु॰ भा॰ १, पृ॰ ३८ । जूती देना = जूती से मारना । जूती पर जूती चढ़ना = यात्रा का आगम दिखाई पड़ना । (जब जूती पर जूती चढ़ने लगती है तब लोग यह समझतें हैं कि जिसकी जूती है उसे कहीं यात्रा करनी होगी) । जूती पर मारना = दे॰ 'जूती की नोक पर मारना' । जूती पर रखकर रोटी देना = अपमान के साथ रोटी देना । निरादार के साथ रखना या पालना । जूती पहनना = (१) जूती में पैर ड़ालना । (२) नया जूता मोल लेना । जूती पहनना = (१) किसी के पैर में जूती ड़ालना । (२) नया जूता मोल ले देना । जूती से = दे॰ 'जूती की नोक से' । जूतियाँ खाना = (१) जूतियों से पिटना । (२) ऊँचा नीचा सुनना । भला बुरा सुनना । कड़ी बातें सहना । (३) अपमान सहना । जूतियाँ गाँठना = (१) फटी हुई जूतियों को सीना । (२) चमार का काम करना । अत्यंत तुच्छ काम करना । निकृष्ट व्यवसाय करना । जूतियाँ चटकाते फिरना = (१) दीनतावश इधर- उधर मारा मारा फिरना । दुर्दशाग्रस्त होकर घूमना । (फटें पुराने जूतें को घसीटने से चट चट शब्द होता हैं) । (२) व्यर्थ इधर उधर घूमना । जूतिर्यों दाल बँटना = आपस में लड़ाई झगड़ा होना । बैर विरोध होना । फूट होना । जुतियाँ पड़ना = जुतियों की मार पड़ना । जुतियाँ बग ल में दबाना = जूतियाँ उतारकर भागना जिसमें पैर की आहट न सुनाई दे । चुपचाप भागना । धीरे से चलता बनना । खिसकना । जूतियाँ मारना = (१) जूतियों से मारना । (२) कड़ी बातें कहना । अपमानित करना । तिरस्कृत करना । (३) कड़ा उत्तर देना । मुँह तोड़ जवाब देना । जूतियाँ लगना = जूतियों से मारना । जूतियाँ सीधी करना = अत्यंत नीच सेवा करना । दासत्व करना । जूतियों का सदका = चरणों का प्रमोंप (विनम्र कृतज्ञता ज्ञापन) ।

जूती छुपाई संज्ञा स्त्री॰ [हिं॰ जूती + छुपाना]

१. विवाह में एक रस्म । विशेष— स्त्रियाँ कोहबर से वर के चलते समय वर का जूता छिपा देती है और तबतक नहीं देती हैं जबतक वह जूते के लिये कुछ नेग न दे । यह काम प्रायः वे स्त्रियाँ करती है जो नाते में वधू की बहन होती है ।

२. वह नेग जो वर स्त्रियाँ को जूती छुपाई में देता है ।

जूती पैजार संज्ञा स्त्री॰ [हिं॰ जूती + फ़ा॰ पैजार]

१. जूतों की मार पीट । धौल धप्पड़ ।

२. लड़ाई दंगा । कलह । झगड़ा । क्रि॰ प्र॰— करना ।