जूस
प्रकाशितकोशों से अर्थ
[सम्पादन]शब्दसागर
[सम्पादन]जूस ^१ संज्ञा पुं॰ [सं॰ जूष]
१. मूँग अरहर आदि की पकी हुई दाल का पानी जो प्रायः रोगियों को पथ्य रूप में दिया जाता है । मुहा॰— जूस देना = उबली हुई दाल का पानी पिलाना । जूस लेना = (१) उबली हुई दाल का पानी पीना । (२) रोगी का सशक्त होकर खाने पीने लायक होना ।
२. उबली हुई चीज का रस । रसा । क्रि॰ प्र॰—काढ़ना । निकालना ।
जूस ^२ संज्ञा पुं॰ [फ़ा॰ जुफ्त़, तुलनीय सं॰ युक्त]
१. युग्म संख्या । सम संख्या । ताक का उलटा । जैसे,— २, ४, ६, ८ । यौ॰—जूस ताक ।
जूस ताक संज्ञा पुं॰ [हिं॰ जूस + फा़॰ ताक] एक प्रकार का जुआ जिसे लड़के खेलते हैं । विशेष— एक लड़का अपनी मुट्ठी में छिपाकर कुछ कौड़ियाँ ले लेता है और दूसरे से पूछता है— 'जूस कि ताक ?' अर्थात् कौड़ियों की संख्या सम है या विषम ? यदि दूसरा लड़का ठीक बूझ लेता है तो जीत जाता है और यदि नहीं बूझता तो उसे हारकर उतनी ही कौड़ियाँ बुझानेवाले को देनी पड़ती है जितनी उसकी मुट्ठी में होती हैं ।
जूस ताख † संज्ञा पुं॰ [हिं॰ जूस + फा़॰ ताक] दे॰ 'जूस ताक' । उ॰— बसन के दाग धोवै, नखछत एक टोवै, चूर लै चुरी को खेलै एक जूस ताख है ।—भारतेंदु ग्रं॰, भा॰ २, पृ॰ १६१ ।
सब्जी आदि का रसा, शोरबा । पके फल का रस । रोगी को दिया जाने वाला हल्का पेय पदार्थ ।