जूही
प्रकाशितकोशों से अर्थ
[सम्पादन]शब्दसागर
[सम्पादन]जूही ^१ संज्ञा स्त्री॰ [सं॰ यूथी]
१. फैलनेवाला एक झाड़ या पौधा जो बहुत घना होता है और जिसकी पत्तियाँ छोटी तथा ऊपर नीचे नुकीली होती है । उ॰— जाही जूही बगुचन लावा । पुहुप सुदरसन लाग सुहावा ।—जायसी ग्रं॰, पृ॰ १३ । विशेष— यह हिमालय के अंचल में आपसे आप उगता है । यह पौधा फुलों के लिये बगिचों में लगाया जाता है । इसके फूल सफेद चमेली से मिलते जुलते पर बहुत छोटे होते हैं । सुगंध इसकी चमेली ही की तरह हलकी मीठी और मनभावनी होती है । ये फूल बरसात में लगते हैं । जूही को कहीं कहीं पहाड़ी चमेली भी कहते हैं । पर जूही का पौधा देखने में चमेली से नहीं मिलता, कुंद से मिलता है । चमेली की पत्तियाँ सीकों के दोनों ओर पंक्तियों में लगती है पर इसकी नहीं । जूही के फूल का अतर बनता है ।
२. एक प्रकार की आतशबाजी जिसके छूटने पर छोटे छोटे फूल से झड़ते दिखाई पड़ते हैं ।
जूही ^२ संज्ञा स्त्री॰ [सं॰ यूक] एक प्रकार का कीड़ा जो सेम, मटर आदि की फलियों में लगता है । जूई ।