जोड़ी

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हिन्दी[सम्पादन]

प्रकाशितकोशों से अर्थ[सम्पादन]

शब्दसागर[सम्पादन]

जोड़ी संज्ञा स्त्री॰ [हिं॰ जोड़ा ]

१. दो समान पदार्थ । एक ही सी दो चिजें । जोड़ा । जैसे, शाल की जोड़ी, तस्बीरों की जोड़ी, किवाड़ों की जोड़ी, घोड़ों या बैलों की जोड़ी । क्रि॰ प्र॰—मिलाना ।—लगाना । यौ॰—जोड़ीदार = जोड़वाला । जो किसी के साथ में हो । ( किसी काम पर एक साथ नियूक्त होनेवाले दो आदमी परस्पर एक दूसरे को अपना जोड़ीदार कहते हैं ।) विशेष—जोड़ी में प्रत्येक पदार्थों को भी परस्पर एक दूसरे की जोड़ी कहते हैं । जैसे,—किसी एक तसबीर को उसी तरह की दूसरी तसबीर की 'जोड़ी ' कहेंगे ।

२. एक साथ पहनने के सब कपड़े । पूरी पोशाक । जैसे,—उनके पास चार जोड़ी कपड़े हैं ।

३. स्त्री और पुरुष । जैसे वर बधू की जोड़ी ।

४. नर और मादा (केवल पशुओं और पक्षियों के लिये) । जैसे, घोड़ों की जोड़ी, सारस की जोड़ी, मोर की जोड़ी । विशेष—अंक ३ और ४ के अर्थ में स्त्री और पुरुष अथवा नर और मादा में से प्रत्येक को एक दूसरे की जोड़ी कहते हैं ।

५. दो घोड़ों या दो बैलों की गाड़ी । वह गाड़ी जिसे दो घोड़े या दो बैल खींचते हो । जैसे,—जब से ससुराल का माल आपको मिला है तबसे आप जोड़ी पर निकलते हैं ।

६. दोनों मुगदर जिनसे कसरत करते हैं । क्रि॰ प्र॰—फेरना ।—भाँजना ।—हिलाना । यौ॰—जोड़ी की बैठक = वह बैठकी (कसरत) जो मुगदरों की जोड़ी पर हाथ टेककर की जाती है । मुगदरों के अभाव में दो लकड़ियों से भी काम लिया जाता है ।

७. मजीरा । ताल । यौ॰—जोड़ीवाल = जो गाने बजानेवालों के साथ जोड़ी या मँजीरा बजाता हो ।

८. वह जो बराबरी का हो । समान धर्म या गुण आदि वाला । जोड़ ।