जोत
प्रकाशितकोशों से अर्थ
[सम्पादन]शब्दसागर
[सम्पादन]जोत ^१ संज्ञा स्त्री॰ [हिं॰ जोतना अथवा सं॰ योकत्र, प्रा॰ जोत]
१. वह चमड़े का तस्मा या रस्सी जिसका एक सिरा घोड़े, बैल आदि जोते जानेवाला जानवरों के गले में और दूसरा सिरा उस चीज में बँधा रहता है जिसमें जानवर जोते जाते हैं । जैसे, एक्के की जोत, गाड़ी की जोत, मोट या चरसे की जोत । क्रि॰ प्र॰—बाँधना ।—लगाना ।
२. वह रस्सी जिसमें तराजू की डंडी से बंधे हुए उसके पल्ले लटकते रहते हैं ।
३. वह छोटी सी रस्सी या पगही जिसमें बैल बाँधे जाते हैं और जो उन्हें जोतते समय जुआठे में बाँध दी जाती है ।
४. उतनी भूमि जितनी एक असामी को जोतने बोने के लिये मिली हो ।
५. एक क्रम या पलटे में जितनी भूमि जोती जाय ।
जोत † ^२ संज्ञा स्त्री॰ [सं॰ ज्योति]
१. दे॰' ज्योति' ।
२. दे॰' जोति' ।
जोत † ^३ संज्ञा स्त्री॰ [देश॰] समतल पहाड़ी । उ॰—यद्यपि वहाँ पहुँचने के लिये कुल्लू से दो जबर्दस्त जोते पार करनी पड़ेंगी ।—किन्नर॰, पृ॰ ९४ ।
जोत पु ^४ संज्ञा पुं॰ [हिं॰] दे॰ 'ज्योतिषी' । उ॰—अलग पुहवै नरेस ब्यास जग जोत बुलाइय । लगन लिद्धि अनुजा सुत नाम चिन्ह चक्क चलाइय ।—पृ॰ रा॰, १ । ६८९ ।