जोश
प्रकाशितकोशों से अर्थ
[सम्पादन]शब्दसागर
[सम्पादन]जोश संज्ञा पुं॰ [फा॰]
१. किसी तरल पदार्थ का आँच या गरमी के कारण उबलना । उफान । उबाल । मुहा॰—जोश खाना = उबलना । उफनना । खौलना । जोश देना = पानी के साथ उबालना । जैसे,—इस दवा का जोश देकर पीओ । जोश मारना = उबलना । मथना । यौ॰—जोशाँदा = क्वाथ । काढ़ा ।
२. चित्त की तीव्र वृत्ति । मनोवेग । आवेश । जैसे,—उन्होंने जोश में आकर बहुत ही उलटी सीधी बातें कह डालीं । मुहा॰—जोश खाना = आवेश में आना । जोश देना = आवेश में लाना या करना । जोश मारना = उमड़ना । जोश में आना = उत्तेजित हो उठना । आवेश में आना । खून का जोश = प्रेम का वह वेग जो अपने वंश या कुल के किसी मनु्ष्य के लिये उत्पन्न हो । जैसे,—खून के जोश ने उन्हें रहने न दिया, वे अपने भाई की मदद के लिये उठ दौड़े । यौ॰—जोश खरोश = अधिक आवेश । जोशे जवानी = जवानी का जोश । जोशे जुनून = पागलपन का दौर । उन्माद का जोर । सनक ।