ज्ञानमुद्रा संज्ञा स्त्री॰ [सं॰] तंत्रसार के अनुसार राम की पूजा की एक मुद्रा । विशेष—इसमें दाहिने हाथ की तर्जनी को अँगूठे से मिलाकर हा थ में रखते हैं और बाएँ हाथ की उँगलियों को कमलसंपुट के आकार की करके उनसे सिर से लेकर बाएँ जंघे तक रक्षा करते हैं ।