ज्य़ौ ^१ अव्य॰ [सं॰ यदि] जो । यदि । उ॰—जो न जुगुति पिय मिलन की धूर मुकुति मोहि दीन । ज्यौ लहियै सँग सजन तौ धरक नरक हू की न ।—बिहारी (शब्द॰) ।