ज्वरांकुश

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हिन्दी[सम्पादन]

प्रकाशितकोशों से अर्थ[सम्पादन]

शब्दसागर[सम्पादन]

ज्वरांकुश संज्ञा पुं॰ [सं॰ ज्वराङ्कुंश]

१. ज्वर की एक औषध जो पारे, गंधक, प्रत्येक बिष और धतूरे के बीजों के योग से बनती है ।

२. कुश की तरह की एक सुगंधित घास । विशेष—यह उत्तरी भारत में कुमायूँ गढ़वाल से लेकर पेशावर तक होती है । इसकी जड़ में से नीबू की सी सुगंध आती है । यह घास चारे के काम की उतनी नहीं होती । इसकी जड़ और डंठलों से एक प्रकार का सुंगधित तेल निकाला जाता है जो शरबत आदि में डाला जाता है ।