ज्वालामुखी

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हिन्दी[सम्पादन]

प्रकाशितकोशों से अर्थ[सम्पादन]

शब्दसागर[सम्पादन]

ज्वालामुखी पर्वत संज्ञा पुं॰ [सं॰] वह पर्वत जिसकी चोटी के पास गहरा गड्ढा या मुँह होता है जिसमें धूआँ, राख तथा पिघले या जले हुए पदार्थ बराबर अथवा समय समय पर बराबर निकला करते हैं । विशेष— ये वेग से बाहर निकलनेवाले पदार्थ भूगरर्भ में स्थित प्रचंड आग्नि के द्वारा जलते या पिघलते हैं और संचित भाप के वेग से ऊपर निकलते हैं । ज्वालामुखी पर्वतों से राख, ठोस और पिघली हुई चट्टानें, कीचड, पानी, धुआँ आदि पदार्थ निकलते हैं । पर्वत के मुँह के चारों और इन वस्तुओं के जमने के कारण कँगूरेदार ऊँचा किनारा सा बन जाता है । कहीं कहीं प्रधान मुख के अतिरिक्त बहुत से छोटे छोटे मुख भई इधर उधर दूर तक फैले हुए होते हैं । ज्वालामुखी पर्वत प्रायः समुद्रों के निकट होते हैं । प्रशांत महासागर (पैसफिक समुद्र ) में जापान से लेकर पूर्वीय द्वीप समूह तक अनेक छोटे बडे़ ज्वालामुखी पर्वत हैं । अकेले जावा ऐसे छोटे द्वीप में ४९ टीले ज्वालामुखी के हैं । सन् १८८३ में क्रकटोआ टापू में ज्वालामुखी का जैसा भयंकर स्फोट हुआ था, वैसा कभी नहीं देखा गया था । टापू के आसपास प्रायः चालीस हजार आदमी समुद्र की घोर हलचल से डूबकर मर गए थे ।