झँपना
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प्रकाशितकोशों से अर्थ
[सम्पादन]शब्दसागर
[सम्पादन]झँपना ^१ क्रि॰ अ॰ [सं॰ झम्प]
१. ढँकना । छिपना । आड़ में होना ।
२. उछलना । कूदना । लपकना । झपकना । उ॰— (क) छकि रसाल सौरभ सने मधुर माधुरी गंध । ठौर ठौर झौरत झँपत झौरं झौंर मधु अंध । —बिहारी (शब्द॰) । (ख) जबहि झँपति तबहि कंपति विहँसि लगति उरोज ।— सूर (शब्द॰) ।
३. टूट पड़ना । एक दम से आ पड़ना । उ॰— जागत काल सोवत काल काल झंपै आई । काल चलत काल फिरत कबहूँलै जाई ।— दादू (शब्द॰) ।
४. झेंपना । लज्जित होना ।
झँपना ^२पु क्रि॰ स॰ पकड़कर दबा लेना । छोप लैना । ढाँक लेना । उ॰— नीची मैं नीची निपट लौं दिठि कुही दौरि । उठि ऊँचै नीचौ दियौ मनु कुलिंगु झँपि झौरि ।—बिहारी (शब्द॰) ।