झकना

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हिन्दी[सम्पादन]

प्रकाशितकोशों से अर्थ[सम्पादन]

शब्दसागर[सम्पादन]

झकना † क्रि॰ अ॰ [अनु॰]

१. बकवाद करना । व्यर्थ की बातें करना ।

२. क्रोध में आकर अनुचित बचन कहना । उ॰— बेगि चलो सब कहें, जकैं तिन सों निज हठ तै ।—नंद॰ ग्रं॰, पृ॰ २०९ ।

३. झुझलाना । खीझना । उ॰— हरि कौ नाम, दाम खोटे लौं झकि झकि डारि दयौ ।—सूर॰, १ ।६४ ।

४. पछताना । कुढ़ना । उ॰— ऊधो कुलिश भई यह छाती । मेरो मन रसिक लग्यो नँदलालहिं झकत रहत दिन राती ।—सूर (शब्द॰) ।