झकोला संज्ञा पुं॰ [हिं॰]दे॰ 'झकोरा' । उ॰—(क) धन भई वारी पुरुष भए भोला सुरत झकोला खाय ।—कबीर सा॰ सं॰, पृ॰ ७५ । (ख) उन्हें कभी कोई नोका उमड़े हुए सागर में झकोले खाती नजर आती ।—रंगभूमि, पृ॰ ४७९ ।