झड़ना

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हिन्दी[सम्पादन]

प्रकाशितकोशों से अर्थ[सम्पादन]

शब्दसागर[सम्पादन]

झड़ना क्रि॰ अ॰ [सं॰ क्षरण या √शद्, अथवा सं॰ झर ('निर्झर' में प्रयुत्क), प्रा॰ झड] किसी चीज से उसके छोटे छोटे अंगों या अंशों का टूट टूटकर गिरना । जैसे, आकाश से तारे झड़ना, बदन की धूल झड़ना, पेड़ में से पत्तियाँ झड़ना, वर्षा की बूँदें झड़ना । मुहा॰— फुल झड़ना । दे॰ 'फूल' के मुहावरे ।

२. अधिक मान या संख्या में गिरना । संयो॰ क्रि॰—जाना ।—पड़ना ।

३. वीर्य का पतन होना । (बाजारू) । संयो॰ क्रि॰—जाना ।

४. झाड़ा जाना । साफ किया जाना ।

५. वाद्य का बजना । जैसे, नौबत झड़ना ।