झरना
संज्ञा
अनुवाद
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प्रकाशितकोशों से अर्थ
शब्दसागर
झरना ^१पु क्रि॰ अ॰ [सं॰ क्षरण]
१. झड़ना ।
२. किसी ऊँचे स्थान से जल की धारा का गिरना । ऊँची जगह से सोते का गिरना । जैसे,—पहाड़ों में झरने झर रहे थे । उ॰—नंद नँदन के बिछुरे अखियाँ उपमा जोग नहीं । झरना लों ये झरत रैन दिन उपमा सकल नहीं । सूरदास आसा मिलिबे की अब घट साँस रही ।—सूर (शब्द॰) ।
३. वीर्य का पतन होना । वीर्य स्खलित होना ।—(बाजारू) ।
४. बजाना । झड़ना । जैसे, नौबत झरना । विशेष—(१) दे॰ 'झड़ना' । विशेष—(२) इन अर्थों में इस शब्द का प्रयोग उस पदार्थ के लिये भी होता है जिसमें से कोई चीज झरती है ।
झरना ^२ संज्ञा पुं॰ [सं॰ झर] ऊँचे स्थान से गिरनेवाला जलप्रवाह । पानी का वह स्रोत जो ऊपर से गिरता हो । सोता । चश्मा । जैसे, उस पहाड़ पर कई झरने हैं ।
झरना ^३ [सं॰ क्षरण] [स्त्री अल्पा॰ झरनी]
१. लोहे या पीतल आदि की बनी हुई एक प्रकार की छलनी जिसमें लंबे लंबे छेद होते हैं और जिसमें रखकर समुचा अनाज छाना जाता है ।
२. लंबी डाँड़ी की वह करछी या चम्मच जिसका अगला भाग छोटे तवे का सा होता है और जिसमें बहुत से छोटे छोटे छेद होता हैं । पौना । विशेष—इससे खुले घी या तेल आदि में तली जानेवाली चीजों को उलटते पलटते, बाहर निकालते अथवा इसी प्रकार का कोई औक कांम लेते हैं । झरने पर जो चीज ले ली जाती है उसपर का फालतू घी या तेल उसके छेदों से नीचे गिर जाता है और तब वह चीज निकाल ली जाती है ।
२. पशुओं के खाने की एक प्रकार की घास जो कई वर्षों तक रखी जा सकती है ।
झरना ^४ वि॰ [वि॰ स्त्री॰ झरनी]
१. झरनेवाला । जो झरता हो । जिसमें से कोई पदार्थ झरता हो ।