झाँकना

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हिन्दी[सम्पादन]

प्रकाशितकोशों से अर्थ[सम्पादन]

शब्दसागर[सम्पादन]

झाँकना क्रि॰ अ॰ [सं॰ चक्ष (= चक्षण = देखना) या अधि + अक्ष, अध्यक्ष, प्रा॰ अज्झक्ख (= आँख के सामने)]

१. ओट के बगल में से देखना । उ॰—(क) जँह तँह उझकि झरोखा जाँकति जनक नगर की नारि ।—सूर (शब्द॰) । (ख) तुलसी मुदित मन जनक नगर जन झाँकति झरोखे लागी शोभा रानी पावती ।—तुलसी (शब्द॰) ।

२. इधर उधर झुककर देखना ।

झाँकना पु † क्रि॰ अ॰ [हिं॰ झंखाना] दे॰ 'झीखंना' । उ॰— (क) इंद्री वश न्यारी परी सुख लूटति आँखि । सूरदास संग रहै तेऊ भरै झांखि ।—सूर (शब्द॰) । (ख) एहि विधि राउ मनहि मन झाँखा । देखि कुभाँति कुमति मनु माँखा ।— तुलसी (शब्द॰) ।