झूमर
प्रकाशितकोशों से अर्थ
[सम्पादन]शब्दसागर
[सम्पादन]झूमर संज्ञा पुं॰ [हिं॰ झूमना या सं॰ युग्म, प्रा॰ जुम्म + र (प्रत्य॰)]
१. सिर में पहनने का एक प्रकार का गहना जिसमें प्रायः एक या ड़ेढ अंगुल चौड़ी, चार पाँच अंगुल लंबी और भीतर से पोली सीधी अथवा धनुषाकर एक पटरी होती है । विशेष— यह गहना प्रायः सोने का ही होता है और इसमें छोटी जंजीरों से बँधे हुए घुँघरू या झब्बे लटकते रहते हैं । किसी किसी झूमर में जंजीरों से लटकती हुई एक के बाद एक इस प्रकार दो पथरियाँ भी होती हैं । इसके पिछले भाग के कुंड़े में चाँप के आकार के एक गोल टुकड़े में दूसरी जंजीर या ड़ोरी लगी होती है जिसके दूसरे सिरे का कुंड़ा सिर की चोटी या माँग के पास के बालों में अटका दिया जाता हैं । यह गहना सिर के अगले बालों या माथे के ऊपरी भाग पर लटकता रहता है और इसके आगे के लच्छे बराबर हिलते रहते हैं । संयुक्त प्रदेश (उत्तर प्रदेश) में केवल एक ही झूमर पहना जाता है जो सिर पर दाहिनी ओर रहता है, और यहाँ इसका व्यवहार वेश्याएँ करती हैं, पर पंजाब में इसका व्यवहार गृहस्थ स्त्रियाँ भी करती हैं और वहाँ झूमरों की जोड़ी पहनी जाती है जो माथे पर आगे दोनों ओर लटकती रहती है ।
२. कान में पहनने का झुमका नामक गहना ।
३. झूमक नाम का गीत जो होली में गाया जाता है ।
४. इस गीत के हा थ होनेवाला नाच ।
५. एक प्रकार का गीत जो बिहार प्रांत में सब ऋतुओं में गाया जाता है ।
६. एक ही तरह की बहुत सी चीजों का एक स्थान पर इस प्रकार एकत्र होना कि उनके कारण एक गोल घेरा सा बन जाय । जमघटा । जैसे, नावों का झूमर । क्रि॰ प्र॰ —डालना ।—पड़ना ।
७. बहुत सी स्त्रियों या पुरुषों का एक साथ मिलकर इस प्रकार घूम घूमकर नाचना कि उनके कारण एक गोल घेरा सा बन जाय ।
८. भालू को खड़ा करने पर रस्सी लेकर भागना ।— (कलंदरों की भाषा) ।
९. गाड़ीवानों की मोंगरी ।
१०. झूमरा नामक ताल । दे॰ 'झूमरा' ।
११. एक प्रकार का काठ का खिलौना जिसमें एक गोल टुकड़े में चारों ओर छोटी छोटी गोलियाँ लटकती रहती हैं ।