टगट्टग पु क्रि॰ वि॰ [हिं॰ टगटगी] स्थिर दृष्टि से । टकटक । उ॰—टट्टग चाहि रहे सब लोई । विष्यो वर तेज अदभ्भुत सोई ।—पु॰ रा॰, १२ । १३६ ।