टटोलना
प्रकाशितकोशों से अर्थ
[सम्पादन]शब्दसागर
[सम्पादन]टटोलना क्रि॰ स॰ [सं॰ त्वक् + तोलन( = अंदाज करना)]
१. मालूम करने के लिये उँगलियों से छूना या दबाना । किसी वस्तु के तल की अवस्था अथवा उसकी कड़ाई आदि जानने के लिये उसपर उँगलियाँ फेरना या गड़ाना । गूढ़ संस्पर्श करना । जैसे,—ये आम पके हैं, टटोलकर देख लो । संयो॰ क्रि॰—लेना ।—डालना ।
२. किसी वस्तु को पाने के लिये इधर उधर हाथ फेरना । ढुँढने या पता लगाने के लिये इधर उधर हाथ रखना । जैसे,— (क) अँधेरे में क्या टटोलते हो । रुपया गिरा होगा तो सबेरे मिल जायगा । (ख) वह अंधा टटोलता हुआ अपने घर तक पहुँच जायगा । (ग) घर के कोने टटोल डाले कहीं पुस्तक का पता न लगा । संयो॰ क्रि॰—डालना ।
३. किसी से कुछ बातचीत करके उसके विचार या आशय का इस प्रकार पता लगाना कि उसे मालूम न हो । बातों में किसी के हृदय के भाव का अंदाज लेना । थाह लेना । थहाना । जैसे,— तुम भी उसे टटोलो कि वह कहाँ तक देने के लिये तैयार है । मुहा॰—मन टटोलना = हृदय के भाव का पता लगाना ।
४. जाँच या परीक्षा करना । परखना । आजमाना । जैसे,— (क) हम उसे खूब टटोल चुके हैं, उसमें कुछ विशेष विद्या गहीं है । (ख) मैंने तो सिर्फ तुम्हें टटोलने के लिये रुपए माँगे थे, रुपए मेरे पास हैं ।