टप

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हिन्दी[सम्पादन]

प्रकाशितकोशों से अर्थ[सम्पादन]

शब्दसागर[सम्पादन]

टप ^१ संज्ञा स्त्री॰ [हिं॰ टोप, तोप ( = आच्छादन, जैसे, घटाटोप)]

१. जोड़ी, फिटन, टमटम या इसी प्रकार की और खुली गाड़ियों का ओहार या सायबान जो इच्छानुसार चढ़ाया था गिराया जा सकता है । कलंदरा ।

२. लटकानेवाले लंप के ऊपर की छतरी ।

टप ^२ संज्ञा पुं॰ [अं॰ टब] नाँद के आकार का पानी रखने का खुला बरतन । टाँका ।

टप ^३ संज्ञा पुं॰ [अं॰ ट्यूब] जहाजों की गति का पता लगाने का एक औजार ।—(लश॰) ।

टप ^४ संज्ञा पुं॰ [हिं॰ ठप्पा] एक औजार जिससे डिबरी का पेच घुमावदार बनाया जाता है ।

टप ^५ संज्ञा स्त्री॰ [अनु॰]

१. बूँद बूँद टपकने का शब्द । उ॰— (क) परत श्रम बूँद टप टपकि आनन बाल भई बेहाल रति मोह मारी ।—सूर (शब्द॰) । (ख) प्यारी विनु कठत न कारौ रैन । टप टप टपकत दुख भरे नैन ।—हरिश्चंद्र (शब्द॰) । यौ॰—टप टप ।

२. किसी वस्तु के एकबारगी ऊपर से गिर पड़ने का शब्द । जैसे—आम टप से टपक पड़ा । यौ॰—टप टप ।

टप ^६ संज्ञा पुं॰ [अं॰ टौप] कानो में पहनने का स्त्रियों का एक आभूषण ।

टप ^७ क्रि॰ वि॰ [अनु॰] शीघ्र । तुरत । उ॰— कैसें कहै कछु भोई सवाव मिलै बड़ी बैर सों पाहि मिल्यी टप ।—घनानंद, पृ॰ १५१ । मुहा॰— टप सै= चट से । झट से बड़ी जल्दी । जैसे,—(क) बिल्ली ने टप से चूहे को पकड़ लिया । (ख) टप से आओ । विशेष—खट, पट आदि और अनुकरण शब्दों के समान इसका प्रयोग भी आधिकतर 'से' विभक्ति के साथ क्रि॰ वि॰ वत् ही होता है । अत: इसका लिंग उतना निश्चित नहीं है ।