टरगी
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प्रकाशितकोशों से अर्थ
[सम्पादन]शब्दसागर
[सम्पादन]टरगी संज्ञा पुं॰ [देश॰] एक प्रकार की घास जो चारे के काम में आती है । इसे भैंस बड़े चाव से खाती है । विशेष—यह सुखाकर बारह तेरह बरस तक रखी जा सकती है और घोड़ों के लिये अत्यंत पुष्ट और लाभदायक होती है । हिंदुस्तान में वह घास हिसार, मांटगोमरी (पंजाब) आदि स्थानों में होती है, पर विलायती के ऐसी सुगंधित नहीं होती । इसे पलका या पलवन भी कहते हैं ।