टसकना
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प्रकाशितकोशों से अर्थ
[सम्पादन]शब्दसागर
[सम्पादन]टसकना क्रि॰ अ॰ [सं॰ तस(=केलना) + करण]
१. किसी भारी चीज का जगह से हटना । जगह से हिलना । खिसकना । जैसे,—यह पत्थर जरा सा भी इधर उधर नहीं टसकता ।
२. रह रहकर दर्द करना । टीस मारना । कसकना ।
३. प्रभावित होना । हृदय में प्रार्थना या कहने सुनने का प्रभाव अनुभव करना । किसी के अनुकूल कुछ प्रवृत्त होना । किसी की बात मानने को कुछ तैयार होना । जैसे,—उससे इतना कहा सुना पर वह ऐसा कठेर हृदय है कि जरा भी न टसका ।
४. पककर गदराना । गुदार होना । †
५. रोना धोना । आँसू बहाना ।
६. घसकना । चलना । जाना । उ॰—किसी को भी आपके टसकने का पूर्ण विश्वास न था ।—प्रेमघन॰, भा॰ २, पृ॰ १३६ ।