टाँकी
प्रकाशितकोशों से अर्थ
[सम्पादन]शब्दसागर
[सम्पादन]टाँकी ^१ संज्ञा स्त्री॰ [सं॰ टङ्क]
१. पत्थर गढ़ने का औजार । वह लोहे की कील जिससे पत्थर तोड़ते, काटते या छीलते हैं । छेनी । उ॰—यह तेलिया पखान हठी, कठिनाई याकी । टूटीं याके सीस बीस बहु बाँकी टाँकी ।—दिनदयाल (शब्द॰) । क्रि॰ प्र॰—चलना ।—चलाना ।—बैठना ।—मारना ।—लगना ।—लगाना । मुहा॰—टाँकी बजना = (१) पत्थर पर टाँकी का आघात पड़ना । (२) पत्थर की गढ़ाई होना । इमारत का काम लगना ।
२. तरबूज या खरबूजे के ऊपर छोटा सा चौखूँटाँ कटाव या छेद जिससे उसके भीतर का (कच्चे, पक्के, सड़े आदि होने का) हाल मालूम होता है । विशेष—फल बैचनेवाले प्राय: इस प्रकार थोड़ा सा काठकर तरबूज रखते हैं ।
३. काटकर बनाया हुआ छेद ।
४. एक प्रकार का फोड़ा । डुंबल ।
५. गरमी या सूजाक का घाव ।
६. आरी का दाँत । दाँता । दंदाना ।
टाँकी ^२ संज्ञा स्त्री॰ [सं॰ टङ्क = (खङ्ड या गड्ढा]
१. पानी इकठा रखने का छोटा हौज । छोटा टाँका । छोटा चहबच्चा ।
२. पानी रखने का बड़ा बरतन । कंडाल ।