टाप

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हिन्दी[सम्पादन]

प्रकाशितकोशों से अर्थ[सम्पादन]

शब्दसागर[सम्पादन]

टाप संज्ञा स्त्री॰ [सं॰ स्थापन, थाप]

१. घोड़े के पैर का वह सबसे निचला भाग जो जमीन पर पड़ता है और जिसमें नाखून लगा रहता है । घोड़ों का अर्धचंद्राकार पादतल । सुम । उ॰— जे जल चलहिं थलहिं की नाई । टाप न बूड़ वेग आधिकाई । तुलसी (शब्द॰) ।

२. घोड़े के पैरों के जमीन पर पड़ने का शब्द । जैसे,—दूर पर घोड़ों की टाप सुनाई पड़ी ।

३. पलंग के पास का तल भाग जो पृथ्वी से लगा रहता है और जिसका घेरा उभरा रहता है ।

४. बेंत या और किसी पेड़ की लचीली टहनियों का बना हुआ मछली पकड़ने का झाबा जिसकी पेदी में एक छेद होता है । मछली पकड़ने का ढ़ाँचा ।

५. मुरगियों के बंद करने का झाबा ।