टालना
प्रकाशितकोशों से अर्थ
[सम्पादन]शब्दसागर
[सम्पादन]टालना क्रि॰ स॰ [हिं॰ टालना]
१. अपने स्थान से अलग करना । हटाना । खिसकाना । सरकाना । संयो॰ क्रि॰—देना ।
२. दूसरे स्थान पर भेज देना । अनुपस्थित कर देना । दूर करना । भगा देना । जैसे,—जब काम का समय होता है तब तुम उसे कहीं टाल देते हो । संयो॰ क्रि॰—देना ।
३. दूर करना । मिटाना । न रहने देना । निवारण करना । जैसे, आपत्ति टालना, संकट टालना, बला टालना । उ॰— मुनि प्रसाद बल तात तुम्हारी । ईस अनेक करवरैं टारी ।— तुलसी (शब्द॰) । संयो॰ क्रि॰—देना ।
४. किसी कार्य का निश्चित समय पर न करके उसके लिये दूसरा समय स्थिर करना । नियत समय से और आगे का समय ठहराना । मुलतबी करना । विशेष—इस क्रिया का प्रयोग समय और कार्य दोनों के लिये होता है । जैसे, तिथि टालना, विवाह की सायत या लग्न टालना, विवाह टालना, इम्तहान टालना । संयो॰ क्रि॰—देना ।
५. समय व्यतीत करना । समय बिताना ।
६. किसी (आदेश या अनुरोध) को न मानना । न पालन करना । उल्लघन करना । जैसे,—(क) हमारी बात वे कभी न टालेगे । (ख) राजा की आज्ञा को कौन टाल सकता है ?
७. किसी काम को तत्काल न करके दूसरे समय पर छोड़ना । मुलतबी करना । जैसे,—जो काम आवे, उसे तुरंत कर डालो, कल पर मत टालो ।
८. बहाना करके किसी काम से बचना । किसी कार्य के संबँघ में इस प्रकार की बातें कहना जिससे वह न करना पडे़ । संयो॰ क्रि॰—देना । मुहा॰—किसी पर टालना = स्वयं न करके किसी के करने के लिये छोड़ देना । किसी के सिर मढ़ना । जैसे,—जो काम उसके पास जाता है, वह दूसरों पर टाल देता है ।
९. किसी बात के लिये आजकल का झूठा वादा करना । किसी काम को और आगे चलकर पूरा करने की मिथ्या आशा देना या प्रतिज्ञा करना । जैसे—तुम इसी तरह महीनों से टालते आए हो, आज हम रुपया जरूर लेंगे ।
१०. किसी प्रयोजन से आए हुए मनुष्य को निष्फल लौटाना । किसी मनुष्य का कोई काम पूरा न करके उसे इधर उधर की बातें कहकर फेर देना । धता बताना । टरकाना । जैसे,—इस समय इसे कुछ कह सुनकर टाल दो, फिर माँगने आवेगा तब देखा जायगा ।
११. पलटना । फेरना । और का और करना ।
१२. कोई अनुचित या अपने विरुद्ध बात देख सुनकर न बोलना । बचा जाना । तरह दे जाना । संयो॰ क्रि॰—जाना ।