टुंड

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हिन्दी[सम्पादन]

प्रकाशितकोशों से अर्थ[सम्पादन]

शब्दसागर[सम्पादन]

टुंड संज्ञा पुं॰ [सं॰ रुण्ड(=बिना सिर का धड़), या स्थाणु(=छीन्न वृक्ष)]

१. वह पेड़ जिसकी डाल टहनी आदि कट गई हों । छिन्न वृक्ष । ठूँठ ।

२. वह पेड़ जिसमें पत्तियाँ न हों ।

३. कटा हुआ हाथ । ४, एक प्रकार का प्रेत जिसके विषय में यह प्रसिद्ध है कि वह घोड़े पर सवार होकर और अपना कटा सिर आगे रखकर रात को निकलता है ।

५. खंड । टुकड़ा । उ॰—बहु सुडंन टुंडन टुंड कियं । निरखै नभ नाइक अच्छरियं ।—रसर॰, पृ॰ २२७ ।