ठंढा
प्रकाशितकोशों से अर्थ
[सम्पादन]शब्दसागर
[सम्पादन]ठंढा वि॰ [सं॰ स्तब्ध, प्र॰ तद्ध, थडु, ठड्ड] [वि॰ स्त्री॰ ठंढी]
१. जिसमें उष्णता या गरमी का इतना अभाव हो कि उसका अनुभव शरीर को विशेष रूप से हो । सर्द । शीतल । गरम का उलटा । क्रि॰ प्र॰—करना ।—होना । मुहा॰—ठंढे ठंढे = ठंढ के वक्त में । धूप निकलने कै पहले । तड़के । सबेरे । उ॰—रात भर सोओ, सबेरे उठकर ठंढे ठंढे चले जाना । यौ॰—ठंढी आग = (१) हिम । बरफ । (२) पाला । तुषार । ठंढी कड़ाही, ठंढी कढ़ाई = हलवाइयों और बनियों में सब पकवान बना चुकने के पीछे हलुआ बनाकर बाँटने की रीति । ठंढ़ी मार = भीतरी मार । ऐसी मार जिसमें ऊपर देखने में कोई टूटा फूटा न हो पर भीतर बहुत चोट आ ई हो । गुप्ती मार । (जैसे, लात घूसों आदि की) । ठंढी मिट्टी = (१) ऐसा शरीर जो जल्दी न बढ़े । ऐसी देह जिसमें जवानो के चिह्व जल्दी न मालूम हों । (२) ऐसा शरीर जिसमें कामो— द्दीपन न हो । ठंढी साँस = ऐसी साँस जो दुःख या शोक के आवेग के कारण बहुत खींचकर ली जाती है । दुःख से भरी साँस । शोकोच्छ्वास । आह । मुहा॰—ठंढी साँस लेना या भरना = दुःख की साँस लेना ।
२. जो जलता हुआ या दहकता हुआ न हो । बुझा हुआ । बुता हुआ । जैसे, ठंढा दीया । क्रि॰ प्र॰—करना ।—होना ।
३. जो उद्दीप्त न हो । जो उद्विग्न न हो । जो भड़का न हो । उदगाररहित । जिसमें आवेश न हो । शांत । जैसे, क्रोध ठंढा होना, जोश ठंढा होना । विशेष—इस अर्थ में इस शब्द का प्रयोग आवेश और आवेश धारण करनेवाले व्यक्ति दोनों के लिये होता है । जैसे, क्रोध ठंढा पड़ना, उत्साह ठंढा पड़ना, क्रुद्ध मनुष्य का ठंढा पड़ना, उत्साह में आए हुए मनुष्य का ठंढा पड़ना, आदि । क्रि॰ प्र॰—करना ।—पड़ना ।—होना । मुहा॰—ठंढा करना = (१) क्रोध शांत करना । (२) ढाढ़स देकर शोक कम करना । ढाढ़स बँधाना । तसल्ली देना । माता या शीतला ठंढी करना = शीतला या चेचक के अच्छे होने पर शीतला की अंतिम पूजा करना ।
४. जिसे कामोद्दीपन न होता हो । नामर्द । नपुंसक ।
५. जो उद्वेगशील या चंचल न हो । जिसे जल्दी क्रोध आदि न आता हो । धीर । शांत । गंभीर ।
६. जिसमें उत्साह या उमंग न हो । जिसमें तेजी या फुरती न हो । बिना जोश का । धीमा । सुस्त । मंद । उदासीन । यौ॰—ठंढी गरमी = (१) ऊपर की प्रीति । बनावटी स्नेह का आवेश । (२) बातों का जोश । उ॰—बस बस यह ठंढ़ी गरमियाँ हमें न दिखाया करो ।—सैर॰, पृ॰ १४ । ठंढा युद्ध, ठंढी लड़ाई = आधुनिक राजनीति में दाँव पेंच की लड़ाई । इसे शीत युद्ध भी कहते हैं । यह अंग्रेजी शब्द कोल्ड बार का अनुवाद है ।
७. जो हाथ पैर न हिलाए । जो इच्छा के प्रतिकूल कोई बात होते देखकर कुछ न बोले । चुपचाप रहनेवाला । विरोध न करनेवाला । जैसे,—वे बहुत इधऱ उधऱ करते थे पर जब खरी खरी सुनाई तब ठंढे पड़ गए । क्रि॰ प्र॰—पड़ना ।—रहना । मुहा॰—ठंढ़े ठंढे = चुपचाप । बिना चूँ किए । बिना बिरोध या प्रतवाद किए ।
८. जो प्रिय वस्तु की प्राप्ति वा इच्छा की पूर्ति से संतुष्ट हो । तृप्त । प्रसन्न । खुश । जैसे,—लो, आज वह चला जायगा, अब तो ठंढे हुए । क्रि॰ प्र॰—होना । मुहा॰—ठंढे ठंढे = हँसी खुशी से । कुशल आनंद से । ठंढे ठंढे घर आना = बहुत तृप्त होकर लौटना (अर्थात् असंतुष्ट होकर या निराश होकर लौटना (व्यंग्य) । ठढे पेटों = हँसी खुशी से । प्रसन्नता से । बिना मनमोटाव या लड़ाई झगड़े के । सीधे से । ठंढा रखना = आराम चैन से रखना । किसी बात की तकलीफ न होने देना । संतुष्ट रखना । ठढे रहो = प्रसन्न रहो । खुश रहो । (स्त्रियों द्वारा प्रयुक्त एवं आशीर्वादात्मक) ।
९. निश्चेष्ट । जड़ । मृत । मरा हुआ । मुहा॰—ठंढा होना = मर जाना । ताजिया ठंढा करना = ताजिया दफन करना । (मूर्ति या पूजा की सामग्री आदि को) ठंढा करना = जल में विसर्जन करना । डुबाना । (किसी पवित्र या प्रिय वस्तु को) ठंढा करना = (१) जल में विसर्जन करना । डुबाना । (२) किसी पवित्र या प्रिय वस्तु को फेंकना या तोड़ना फोड़ना । जैसे, चूड़ियाँ ठंढी करना ।
१०. जिसमें चहल पहल न हो । जो गुलजार न हो । बेरौनक । मुहा॰—बाजार ठंढा होना = बाजार का चलता न होना । बाजार में लेनदेन खूब न होना ।
ठंढा मुलम्मा संज्ञा पुं॰ [हिं॰ ठंढा + अ॰ मुलम्मा] बिना आँच के सोना चाँदी चढ़ाने की रीति । सोने चाँदी का पानी जो बैटरी के द्वारा या तेजाब की लाग से चढ़ाया जाता है ।