ठक

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हिन्दी[सम्पादन]

प्रकाशितकोशों से अर्थ[सम्पादन]

शब्दसागर[सम्पादन]

ठक ^१ संज्ञा स्त्री॰ [अनुध्व॰ ठक] एक वस्तु पर दूसरी वस्तु को जोर से मारने का शब्द । ठोंकने का शब्द ।

ठक ^२ वि॰ [सं॰ स्तब्ध, प्रा॰ टढ्ढ] स्तब्ध । भौंचक्का । आश्चर्य या घबराहट से निश्चेष्ट । सन्नाटे में आया हुआ । मुहा॰—ठक से होना = स्तब्ध होना । आश्चर्य में होना । उ॰— उनकी सौम्य मूर्नि पर लोचन ठक से बँध जाते ।—प्रेमघन॰, भा॰ २, पृ॰ ३८ । क्रि॰ प्र॰—रह जाना ।—हो जाना ।

ठक ^३ संज्ञा पुं॰ [देश॰] चंडूबाजों की सलाई या सूजा जिसमें अफीम का किवाम लगाकर सेंकते हैं ।

ठक † ^४ संज्ञा पुं॰ [हिं॰ ठग]दे॰ 'ठग' । जैसे, ठकमूरी ( = ठपमूरी) । उ॰—ठाकुर ठक भए गेल चोरें चप्परि घर लिज्झिअ ।— कीर्ति॰, पृ॰ १६ ।