ठगी संज्ञा स्त्री॰ [हिं॰ ठग + ई (प्रत्य॰)] १. ठग का काम । धोखा देकर माल लूटने का काम । २. ठगने का भाव । ३. धूर्तता । धोखेबाजी । चालबाजी ।