ठड़ा † वि॰ [सं॰ स्थातृ] खड़ा । दंडायमान । यौ॰—ठड़िया ब्यौहार = वह सामाजिक व्यवहार जिसमें रुपयों का लेन देन न होता हो । क्रि॰ प्र॰—करना ।—होना ।