ठंठार पु वि॰ [हिं॰ ठंठ + आर (प्रत्य॰)] खाली । रीता । छूँछा । उ॰—जसु कछु दीजे धरन कहँ आपन लेहु सँभार । तस सिंगार सब लीन्हेंसि कीन्हेसि मोंहि ठंठार ।—जायसी (शब्द॰) ।