ठनकारना † क्रि॰ अ॰ [हि॰ ठनकार] फुफकारना । क्रुद्ध सर्प का फन काढ़कर फुफकारना । उ॰—सन सन करके रात खनकती झींगुर झनकारै । कभी कभी दादुर रट कर जिय व्याकुल कर डारैं । साँप खँडहर पर ठनकारैं ।—भारतेंदु ग्रं॰, भा॰ २, पृ॰ ४८९ ।