ठप्पा

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हिन्दी[सम्पादन]

प्रकाशितकोशों से अर्थ[सम्पादन]

शब्दसागर[सम्पादन]

ठप्पा संज्ञा पुं॰ [सं॰ स्थापन, हिं॰ थापन, थाप, अथवा अनुध्व॰ ठप]

१. लकड़ी, धातु मिट्टी आदि का खंड जिसपर किसी प्रकार की आकृति, बेलबूटे या अक्षर आदि इस प्रकार खुदे हों कि उसे किसी दूसरी वस्तु पर रखकर दबाने से या दूसरी वस्तु की उसपर रखकर दबाने से उस दूसरी वस्तु पर वे आकृतियाँ बेलबूटे या अक्षर उभर आवें अथवा बन जाँय । साँचा । क्रि॰ प्र॰—लगाना ।

२. लकड़ी का टुकड़ा जिसपर उभरे हुए बेलबूटे बने रहते हैं ओर जिसपर रंग, स्याही आदि पोतकर उन बेलबूटों को कपड़े आदि पर छापते हैं । छापा ।

३. गोटे पट्टे पर बेलबूटे उभारने का साँचा ।

४. साँचे के द्वारा बनाया हुआ चिह्न, बेलबूटा आदि । छाप । नकश ।

५. एक प्रकार का चौड़ा नक्काशीदार गोटा ।