ठबक
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प्रकाशितकोशों से अर्थ
[सम्पादन]शब्दसागर
[सम्पादन]ठबक † संज्ञा स्त्री॰ [हिं॰ ठपका] आघात । ठोकर । ठेस । उ॰— या तनु को कह गर्व करत हैं ओला ज्यों गल जावै रे । जैसे बर्तन बनो काँच को ठबक लगे बिगसावै रे ।—राम॰ धर्म, पृ॰ ३६० ।
ठबक † संज्ञा पुं॰ [हि॰ ठोंक] आघात । थपकी । ठोंका । उ॰— पवन ठवक लगि ताहि जगावै । तब ऊरध को शीश उठावै ।— चरण॰ बानी, पृ॰ ८० ।