ठरूका †पु संज्ञा स्त्री॰ [हिं॰ ठोकर] ठोकर । आघात । उ॰— जिनसौ प्रीति करत है गाढ़ी सो मुख लावै लूकौ रे, जारि बारि तन खेह करैंगे दे दे मूँड़ ठरूकौ रे ।—सुंदर ग्रं॰, भा॰ २, पृ॰ ९१० ।